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Tuesday, December 20, 2011

अमर गीता पर रूस में प्रतिबंध लगाने की साजिश-Tarun Vijay's statement during zero hour in Rajya Sabha

Subject raised by Shri Tarun Vijay in Rajya Sabha
during zero hour session
20/ 12/ 2011


RE DEMAND TO LIFT BAN IMPOSED ON
SHRIMAD BHAGAVAD GITA BY RUSSIA

श्री तरुण विजय (उत्तराखंड): महोदय, ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ का संदेश देने वाली अमर गीता पर रूस में प्रतिबंध लगाने की साजिश की जा रही है। क्या आप सूरज पर प्रतिबंध लगा सकते हैं, क्या आप हिमालय को प्रतिबंधित कर सकते हैं और क्या आप पृथ्वी की गति को प्रतिबंधित कर सकते हैं? ऐसे मूर्खर्तापूर्ण कार्य की पूरे सदन द्वारा सवर्सम्मति से निन्दा और भत्सर्ना की जानी चाहिए। यह खुशी की बात है कि गीता पर प्रतिबंध के विरोध ने पूरे हिन्दुस्तान को तथा पूरे हिन्दुस्तान की राजनीतिक पार्टियां और विचारधाराओं से ऊपर उठते हुए सभी राजनीतिक नेताओं को एकजुट कर दिया है। गीता ने भारत को एकजुट कर दिया है। लोक सभा में लालू जी, मुलायम जी, शरद यादव जी, जोशी जी, आदि सब लोगों ने पार्टियों से परे उठते हुए इसका विरोध किया है। ..

श्री उपसभापित: आप उनके नाम मत लीजिए।

श्री तरुण विजय : महोदय, जिस गीता ने ‘धर्म की जय’ का संदेश दिया और सुप्रीम कोर्ट का उदघोष है- ‘यतो धर्म: ततो जय’; उस गीता पर प्रतिबंध का पूरे देश को विरोध करना चाहिए। इस बारे में भारत सरकार को रूस सरकार से बात करनी चाहिए।


श्री तरुण विजय (कर्मागत) : महात्मा गाँधी ने कहा कि, “गीता हमारी माता है”, वे प्रतिदिन गीता का पाठ करते थे। विनोबा भावे ने गीता पर एक विश्वविख्यात टीका लिखी, जिसे उन्होंने गीताई कहा, जो घर-घर में पढ़ी जाती है। अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा, “When I read the Bhagavad-Gita and reflect about how God created this universe, everything else seems so superfluous”. गीता के बारे में पूरे हिन्दुस्तान के लोग मजहब, जाति, प्रांत, भाषा, पंत से ऊपर उठते हुए एक हैं और उन्होंने मांग की है कि जिस गीता ने संदेश दिया, “परित्रानायसाधुनाम विनाशायचदुश्कृताम, धर्म संस्थापनायथाय सम्भवामि युगे-युगे”, ऐसी गीता के बारे में प्रतिबंध की कोई बात सहन नहीं की जानी चाहिए। महोदय, अभी हाल ही में हमारे प्रधानमंत्री रूस के दौरे पर गए थे। उसी समय यह मुद्दा भी उठा था। हम जानना चाहते हैं कि क्या प्रधानमंत्री जी ने रूस के साथ इस महत्वपूर्ण मुद्दे का प्रश्न उठाया है और अगर उठाया है तो उनको क्या उत्तर मिला? महोदय, यह गीता वह ग्रंथ है, जिसको पढ़कर हमारे क्रांतिकारी अंग्रेजों के खिलाफ़ संघर्ष लड़ते हुए फांसी के फंदे पर झूल गए थे।

जेल में, भगत सिंह की कोठरी में गीता का ग्रंथ मिला था। गीता ने देश को प्राण दिए, गीता देश की पहचान है, गीता देश की पिरभाषा है, गीता देश की एक अटूट संगिठत शक्ति है। महोदय, “गीता नहीं सिखाती आपस में बैर रखना, हिन्दी हैं हम वतन हैं हिन्दोस्तां हमारा”। गीता के बारे में सबको एकजुट होना चाहिए।