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Sunday, January 24, 2010

भास्कर राव के बहाने

जनसत्ता
24,January,2010

तरुण विजय

1 comment:

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

आज आम आदमी रोजी-रोटी और modern बनाने मैं ही इतना मशगुल है की जिंदगी का सही अर्थ भुलाता जा रहा है | भास्कर राव जी को मेरा नमन |

आपके आलेख प्रेरणा का संचार करती है |